अपने ही लिखें को थोड़ा बदलना है।
आज एक ही बात को अलग-अलग तरीके से लिखकर देखा,अपने ही विचारों को थोड़ा पास थोड़ा दूर से देख लेगा। लगा ऐसा कुछ लिखना चाहिए,जो मेरे ही मन का हो लोगों की समझ का हो।बातों को शब्दों से इतना उलझाएंगे नहीं, शायद कम शब्दों में भी अपनी बात कह पाएंगे नहीं। पुरानी आदत है,कह पाना थोड़ा मुश्किल है। फिर भी मैं कोशिश करूंगी,थोड़ा तो अपने मन की बात आपके मन की तरह लिखूंगी।